10 दिन तक धरना दिया, सुनवाई नहीं हुई, तो अब 70 किमी पैदल चलकर बीकानेर पहुंचे वन्य जीव प्रेमी

लूणकरणसर से हिरण शिकार मामले को लेकर जीव प्रेमी रविवार शाम को बीकानेर पहुंच गए। वन्य जीव प्रेमियों ने शनिवार शाम को लूणकरणसर से बीकानेर की ओर पैदल मार्च शुरू किया था। पैदल मार्च शाम को जिला कलेक्ट्री पहुंचा जहां इन्होंने सभा की। 


यहां मांग नहीं मानी तो धरना शुरू किया जाएगा। पैदल मार्च में करीब डेढ़ हजार वन्य जीव प्रेमी शामिल हैं। इन लोगों ने रात लूणकरणसर से करीब 35 किमी दूर बामनवाली में बिताई। हिरण शिकार मामले में जीव प्रेमी बीकानेर कूच में राजमार्ग-62 से बीकानेर की तरफ तेजी आगे बढ़ रहे हैं। पैदल कूच का रालोपा के प्रदेश मंत्री विजयपाल बेनीवाल, जीव रक्षा संस्था के जिलाध्यक्ष मोखराम धारणियां, मोहन पूनियां समेत कई लोग नेतृत्व कर रहे हैं।


यह है मामला


22 जनवरी की रात को सादोलाई गांव के आस-पास बड़ी संख्या में हिरणों का शिकार हुआ। आरोप है कि सूचना देने के बाद भी वन विभाग के रेंजर और वनपाल ने संज्ञान में नहीं लिया। इस पर जीव रक्षा संस्थान के पदाधिकारी 23 जनवरी को लूणकरणसर में रेंजर कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए।


10 दिन तक धरना चला। इस दौरान वन विभाग के आला अधिकारियों के साथ ही कई जनप्रतिनिधि भी पहुंचे। मगर, जीव प्रेमी दोषी वन रक्षक व वनपालों को सस्पेंड करने की मांग पर धरने पर बैठे रहे। सुनवाई नहीं हुई तो शनिवार को धैर्य जवाब दे गया।


उन्होंने धरना स्थल से 70 किमी दूर स्थित बीकानेर कलेक्ट्रेट तक पैदल कूच का ऐलान कर दिया। हजारों की संख्या में जीव प्रेमी बीकानेर के लिए पैदल रवाना हो गए। इस दौरान पुलिस ने उन्हें हाइवे पर रोक दिया। करीब 45 मिनट तक वहां माहौल गर्माया रहा। जीव प्रेमियों ने कहा कि वे अपनी बात रखने बीकानेर जा रहे हैं। जीव प्रेमी है, हाइवे जाम करना या तोड़फोड़ करना, उनका चरित्र ही नहीं है। उसके बाद पुलिस ने उन्हें आगे जाना दिया।


क्या चाहते हैं जीव रक्षक : एक रेंजर व तीन वनपाल को किया जाए निलंबित
जीव रक्षा संस्थान के जिलाध्यक्ष मोखराम धारणिया का कहना है कि लूणकरणसर रेंजर व छत्तरगढ़ के तीन वनपालों की शिकारियों से मिलीभगत है। हमारे संस्थान के पदाधिकारी के सामने वे शिकारियों के घर पहुंचे। वहां पर उनके यहां दो घंटे रुके। चाय पी, मगर उन्हें गिरफ्तार नहीं किया। शिकार की घटना को वे मानने को तैयार नहीं थे जबकि मौके पर बड़ी संख्या में हिरण शिकार के सबूत थे। वहां पर उनके कटे हुए सींग, खून के निशान थे।


सादोलाई गांव के कुएं से हिरणों के अवशेष भी मिले। इतना सब होने के बावजूद अधिकारी उनके खिलाफ केवल जांच कर रहे हैं। जब तक उन्हें निलंबित नहीं किया जाएगा, हम धरना नहीं हटाएंगे। लूणकरणसर में सुनवाई नहीं हुई, इस कारण न्याय के लिए बीकानेर तक पैदल जाएंगे। बीकानेर में धरना लगाकर, वन्य जीवों को न्याय दिलवाकर रहेंगे।


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